मोबाइल ऐप से वोटिंग सही या गलत? पूरी सच्चाई और खतरा जानें

मोबाइल ऐप से वोटिंग – सही या गलत?

 

Aajkal har kaam mobile se ho jaata hai, lekin वोटिंग कोई साधारण काम नहीं, ये देश के भविष्य का फैसला है।

इसलिए इस पर सावधानी और भरोसा दोनों जरूरी हैं।

 

1. मोबाइल ऐप पर 100% भरोसा करना मुश्किल क्यों है?

 

* मोबाइल ऐप और इंटरनेट सिस्टम हैक हो सकते हैं।

अगर सिस्टम में ज़रा सी भी छेड़छाड़ हो गई तो:

* आपने जिसको वोट दिया → वो किसी और को मिल सकता है

* जनता की पसंद/चुनाव → बदली जा सकती है

* असली नतीजा → झूठा हो सकता है

* जनता चाह कर भी सरकार नही बदल सकता।

 

मतलब एक छोटी गलती भी देश की सरकार बदल सकती है। और जनता को बेवकूफ बना सकता है।

 

2. मोबाइल वोटिंग सिर्फ बिहार में क्यों की किया जा रहा है?

सबसे बड़ा सवाल:

 

* पूरे भारत में लागू क्यों नहीं?

* सिर्फ एक राज्य में ही क्यों?

* क्या टेस्टिंग चल रहा है?

* अगर टेस्टिंग चल रहा है तो बिहार में ही क्यों? टेस्टिंग केलिए और भी तो राज्य है।

* क्या यहां प्रयोग किया जाएगा?

* या बिहार के जनता को बेवकूफ बनाया जा रहा है?

 

अगर सिस्टम सही है → तो पूरे देश में लागू करो। (और ऐसा होना ही चाहिए)

अगर सिर्फ एक जगह कर रहे हो → तो सवाल उठना स्वाभाविक है।

 

3. अगर ऐप हैक हो गया तो?

 

* जीतने वाला हार सकता है

* हारने वाला जीत सकता है

* जनता जिससे सरकार बनाना चाहती है, वो नहीं बन पाएगा।

* सरकार उसी की बनेगा जिसके हाथ में पूरा कंट्रोल है।

* और ये साबित करना भी मुश्किल होगा कि हैक हुआ था या नहीं

 

यानी गड़बड़ी हो गई तो पकड़ में आना लगभग नामुमकिन है।

 

4. कौन हैक कर सकता है?

 

* विदेशी हैकर

* साइबर अपराधी

* देश के IT experts

* राजनैतिक हित वाले लोग

 

ये सिर्फ कल्पना नहीं → ये पूरी तरह संभव है।

 

5. जनता की असली चिंता क्या है?

 

सत्ताधारी लोग अक्सर सिस्टम पर सबसे ज्यादा नियंत्रण में होते हैं।

और जहाँ कंट्रोल, वहीं गड़बड़ी की संभावना भी होती है।

 

यही वजह है कि लोग मोबाइल वोटिंग पर संशय करते हैं, और ये जायज़ है।

 

6. मेरी राय

मोबाइल वोटिंग बहुत बड़ा रिस्क है क्योंकि:

 

* मोबाइल ऐप 100% सुरक्षित नहीं होता

* सर्वर का डेटा बदला जा सकता है

* गलती पकड़ना मुश्किल होता है

 

इसलिए Electronic Voting Machine (EVM) + पेपर ट्रेल या पेपर बैलेट सिस्टम अभी भी ज्यादा सुरक्षित है।

 

7. अगर मोबाइल वोटिंग होनी ही है तो शर्तें हों:

 

* App का कोड पब्लिक हो (सब तकनीकी/पार्टी कि लोग जांच सकें)

* Server भारत में ही हो

* Cyber security की स्वतंत्र टीम निगरानी करे

* सिस्टम एक पार्टी के कंट्रोल में न हो

 

वोटर को वोट की पुष्टि का प्रमाण मिले

 

निष्कर्ष

 

वोटिंग = जनता की आवाज़

इसमें भरोसा 100% होना चाहिए, 99.99% नहीं।

 

अगर वोटिंग सिस्टम में ज़रा सा भी रिस्क है –

तो समय लगे तो लगे, पर वोटिंग सुरक्षित होनी चाहिए।

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